अपना बनाकर मानेंगे
अपना बना कर मानेंगे
धड़कन दिलों की आज बढ़ा कर मानेंगे
होश उनके हम तो आज उड़ा कर मानेंगे
चले जाओ, जहां आज तुमको है जाना
मुहब्बत की शमां आज जला कर मानेंगे
कैसे भूलोगे लम्हें जो कभी साथ गुजारा
हरपल का हिसाब हम चुका कर मानेंगे।
मेरी नजरों से दूर चाहे जहां छुप जाना
महफ़िल में भी दिल तो चुरा कर मानेंगे।
कर दो मुहब्बत में लाख रूसवा मुझको
इश्क़ समंदर तुझको तो डूबा कर मानेंगे।
निभा ले दुश्मनी प्रियम से तू खूब अपना
कसम से तुझको अपना बना कर मानेंगे।
©पंकज प्रियम