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2 Jul 2020 · 1 min read

//अपना पथ ,अपनी मंजिल//

धूल भरी थी,
शूल पड़ी थी ।
फूल किसने देखें,
मुसीबत खड़ी थी ।।

पथ पथरीला,
सूझती न राह ।
मंजिल मुश्किल,
थामे था चाह ।।

कंकड़ चुभते थे,
पग डगमगाते थे ।
डगर पर अडिग था,
तूफानों से न घबराते थे ।।

कीचड़ से लथपथ,
होकर आगे बढ़ता था ।
कैसा दौर निकाला,
तन तरबतर लगता था।।

कश्ती कौन चलाए,
नदियों में उफान ।
हवाओं का बदला रुख,
चहुँओर है तूफान ।।

करता गया संघर्ष,
ले कर्म की सत्यता ।
सबका मिला साथ,
फिर मिली सफलता ।।

छँट गए बरसों के जमे बादल ।
मंडराते थे जो लिए रंग काजल ।।
देख देख उनको मन घबराता ।
बरसते देख अब मन हर्षाता ।।

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 220 Views
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