*अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)*
अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)
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1)
अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा
किंतु प्रश्न है शेष मुकदमा, किस चेंबर में जाएगा
2)
किसे पता यह सच जीते या, झूठ प्रतिष्ठित हो जाए
संभव है अपना वकील ही, अपना केस हराएगा
3)
महामूर्ख है न्याय मॉंगने, गया अदालत के भीतर
बीस वर्ष के बाद देखना, यह भीषण पछताएगा
4)
रोजाना सुनवाई होकर, त्वरित फैसले जब होंगे
वह युग न्याय-व्यवस्था का तब, स्वर्ण-काल कहलाएगा
5)
जाति धर्म दल के खेमों में, नहीं संकुचितता जिसकी
वही पंच-परमेश्वर बनकर, लोक-कथा में छाएगा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451