अपनापन
कार्य करोगे तुम जग में अच्छे,वो जीवन की पहचान बनेंगे।
कदम रक्खोगे तुम सोच समझकर,तो वही तुम्हारे निशान बनेंगे।।
सोचो कार्य करने से पहले,और फिर जाकर अपने कार्य करो।
हरेक बात कहने से पहले सोचो,और फिर जाकर वह बात कहो।।
सही कार्य जो तुम करते हो,दूजे को गलत वो लग सकता है।
सही बात जो तुम कहते हो, दूजा गलत उसे भी बता सकता है।।
मत करना मजबूर किसी को,अपनी बात मनवाने को।
ना मानो बुरा उस व्यक्ति का,जो तुम्हारे किए कार्य को गलत बतावे तो।।
हर व्यक्ति की अपनी सोच अलग है,हर व्यक्ति के कार्य का तरीका अलग है।
तुम्हारा किया कार्य जो बिल्कुल सही,दूजे की सोच में शायद गलत है।।
दो तरह के लोग हर घर में,और हर समाज में पाये जाते हैं।
पहले जो तुमको समझ पाते हैं,दूजे जो तुम्हें समझ नहीं पाते हैं।।
अपने हैं जो तुम्हें समझ पाते हैं,और छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं।
और जो भी तुम्हारे अपने नहीं,वो कभी भी तुमको समझ नहीं पाते हैं।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी