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8 Mar 2021 · 1 min read

अपनापन मन में उपजता है

अपनापन मन में उपजता है।
तभी तो कोई सपना सजता है।
कर लेता पहचान।
बन जाता दिल का मेहमान।
उसको फिर दिल।
कभी न तजता है।।
बंध जाती रिश्तो की डोर।
भागता दिल उसी की ओर।
बार बार हर बार दिल।
नाम उसी का भजता है।।
वैसे तो दुनिया बहुत बड़ी।
किसी को कहां किसी की पड़ी।
घड़ी सा दिल अनुनय का अपना।
अपनेपन के लिए ,टिक टिक बजता है।।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 326 Views

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