अन्याय का साथी
अन्याय का संगी दुनिया में
एक दो – ना हजार – लाख
इसकी संख्या इस मुल्क में
होते अन्नगिनत के सामान ।
अन्याय करने वाला जग में
अशक्तों पर करता प्रतिहार
उनको इनसे क्या मिलता ?
अत- ए- ऐव वो रहता मस्त ।
एक दिन आखिर ऐसा आता वक्त
जालिम एवं उसका हर संगी को
ईश्वर द्वारा किया जाता हैं दण्डित
जैसा को तैसा फल मिलता जग में ।
अनीति अपने कार्यों को देकर अंजाम
करता रहता मीतों के संग पार्टी- वाटी
अन्याय का मीत-भीत हमेशा न्याय से
हर वक्त हर पल-समय रहता सावधान ।