अन्नपूर्णा
अन्नपूर्णा
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हाँ मैं कृषका हूँ !
सदियों से ही….
और सदियों तक भी !
अपनाया है मैंने !
कृषि और पशुपालन को
ताकि कर्मण्यवादी बनकर
सतत् कर्म करूँ !!
किया भी है……
करती भी हूँ !
तभी कहलाती हूँ !
कर्मण्या ।।
अपनाया है मैंनें !
धीरज को……..
जो समायोजित है मेरे अंतस में
तभी कहलाती हूं !
धीरज-धरणी ।।
दे दूँ इतना सदा-सर्वदा
कि………
मेरी मेहनत
मेरी कर्मठता
मेरी कर्तव्यपरायणता !
राष्ट्र-निर्माण में
समर्पित कर सकूँ ।।
अपनाया है मैंने !
सूक्ष्म दृष्टि को
ताकि देख सकूँ !
नित्य विकास !
परम्परा !
संस्कार !
संस्कृति !
और राष्ट्र की
एकता-अखण्डता को !
ताकि बनी रहूँ मैं !
युग-दृष्टा ||
अपनाया है मैंने !
सक्षमता को
ताकि कर सकूँ !
सक्षम और सुदृढ……
खुद को !
निकेत को
और स्वदेश को !
न हो विचलित नागरिक
न ही राष्ट्र हो खंडित !
तभी बनी हूँ मैं !
स्वयं-सिद्धा ।।
अपनाई है मैंने !
निष्ठा और सहिष्णुता !
ताकि बना रहे
मेरे देश में…….
साम्प्रदायिक सोहार्द्र !
और बनूँ मैं !
राष्ट्र-निर्माण की
आधारशिला ||
अपनाया है मैंने !
संकल्प की स्वतंत्रता को
ताकि ले सकूँ !
स्वतंत्र निर्णय
राष्ट्र-निर्माण में !
और बनूँ मैं !
राष्ट्र-हित का
हेतु ।।
अपनाया है मैंने !
अन्नपूर्णा स्वरूप को !
ताकि उपजा सकूँ !
खेतों में अन्न !
साथ ही पालती हूँ
मवेशियों को !
ताकि विकसित हो
राष्ट्र की अर्थव्यवस्था !
और मिटाती हूँ भूख
जन-जन के पेट की
और कहलाती हूँ !
अन्नपूर्णा ||
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डॉ०प्रदीप कुमार दीप