अन्तर मन में उबल रही है, हर गली गली की ज्वाला ,
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अन्तर मन में उबल रही है, हर गली गली की ज्वाला ,
बाहर लाना है शब्दों में , इक गुन्थी हुई सी माला ।
✍नील रूहानी 01/06/23 ,,,
( नीलोफ़र खान )
अन्तर मन में उबल रही है, हर गली गली की ज्वाला ,
बाहर लाना है शब्दों में , इक गुन्थी हुई सी माला ।
✍नील रूहानी 01/06/23 ,,,
( नीलोफ़र खान )