अन्तर्मन ….
आशा, अभिलाषा हो तुम।
मन की परिभाषा हों तुम।।
सरलता की देवी हो तुम।
मन की पवित्रता हों तुम।।
पुष्प की सुगंध हो तुम।
भौंरे के गुंजन हों तुम।।
चंदा की चकोर हो तुम।
मृग की कस्तूरी हो तुम।।
कृष्ण की राधा हो तुम।
इन्द्र की रंभा हो तुम।।
खग की’ पर’ हो तुम।
कोयल की कूक हो तुम।।
प्रकाश की ज्योति हो तुम।
कवि की लेखनी हो तुम।।
सब कुछ तो हो तुम,
तो क्यों न तुझे चाहें।
मेरे चित्त की धड़कन हो तुम।।
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चंद्र प्रकाश पटेल
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ।