Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2024 · 1 min read

अनोखा बंधन…… एक सोच

शीर्षक – अनोखा बंधन
*******************
अनोखा बंधन तो मन भावों में होता हैं।
दिल और चाहत का सहयोग रहता हैं।
बस हम साथ किसी के सोच कहतीं हैं।
अनोखा बंधन की जिंदगी अलग रहती हैं।
तेरे मेरे बचपन की सोच अनोखा बंधन हैं।
आधुनिक समय में सबकी अपनी सोच हैं।
आज हम सभी समानता के साथ जीते हैं।
अनोखा बंधन भी हम सभी समझते हैं।
हमारी सोच और व्यवहार सम्मान होता हैं।
सचमुच अनोखा बंधन आज हमारी सोच हैं।
आज हम तुम संग अनोखा बंधन जोड़ते हैं।
तुम ख्बाव और हम दोनों देखें सोचते हैं।
अनोखा बंधन न रुसवाई न मिलन संग हैं।
*************************
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
41 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं भी कवि
मैं भी कवि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
समाज और सोच
समाज और सोच
Adha Deshwal
!! शिव-शक्ति !!
!! शिव-शक्ति !!
Chunnu Lal Gupta
अगर आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं हैं,तो कम से कम उन्
अगर आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं हैं,तो कम से कम उन्
Paras Nath Jha
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
Dushyant Kumar
जो कभी मिल ना सके ऐसी चाह मत करना।
जो कभी मिल ना सके ऐसी चाह मत करना।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*जुदाई न मिले किसी को*
*जुदाई न मिले किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बालबीर भारत का
बालबीर भारत का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*दादा जी (बाल कविता)*
*दादा जी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मन नहीं होता
मन नहीं होता
Surinder blackpen
Miss you Abbu,,,,,,
Miss you Abbu,,,,,,
Neelofar Khan
व्यर्थ बात है सोचना ,
व्यर्थ बात है सोचना ,
sushil sarna
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सुना है नींदे चुराते हैं ख्वाब में आकर।
सुना है नींदे चुराते हैं ख्वाब में आकर।
Phool gufran
“मधुरबोल”
“मधुरबोल”
DrLakshman Jha Parimal
तवाफ़-ए-तकदीर से भी ना जब हासिल हो कुछ,
तवाफ़-ए-तकदीर से भी ना जब हासिल हो कुछ,
Kalamkash
3973.💐 *पूर्णिका* 💐
3973.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कैसा अजीब है
कैसा अजीब है
हिमांशु Kulshrestha
क्षमा करें तुफैलजी! + रमेशराज
क्षमा करें तुफैलजी! + रमेशराज
कवि रमेशराज
दिल का हर अरमां।
दिल का हर अरमां।
Taj Mohammad
क्यूँ भागती हैं औरतें
क्यूँ भागती हैं औरतें
Pratibha Pandey
मुझको मेरी लत लगी है!!!
मुझको मेरी लत लगी है!!!
सिद्धार्थ गोरखपुरी
नारी
नारी
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
दौड़ पैसे की
दौड़ पैसे की
Sanjay ' शून्य'
विश्वेश्वर महादेव
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
■ इससे ज़्यादा कुछ नहीं शायद।।
■ इससे ज़्यादा कुछ नहीं शायद।।
*प्रणय प्रभात*
अपनी चाह में सब जन ने
अपनी चाह में सब जन ने
Buddha Prakash
शरद पूर्णिमा पर्व है,
शरद पूर्णिमा पर्व है,
Satish Srijan
उनकी नाराज़गी से हमें बहुत दुःख हुआ
उनकी नाराज़गी से हमें बहुत दुःख हुआ
Govind Kumar Pandey
Loading...