अनोखा प्यार
“अनोखा प्यार”
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गुड मॉर्निंग सर! कक्षा में प्रवेश करते हुए प्रिया मैडम ने बोली। फिर मैंने बोला गुड मॉर्निंग मैडम और सब कैसा है? बढ़िया है सर, अपना सुनाइए। भगवान के आशीर्वाद से अभी तक कुशल मंगल है मैंने बोला।
फिर वे अपने कार्य में लग गई और मैंने भी, पर एक बात नया देखने को मिला कि अन्य दिनों की तुलना में आज मैडम की चाल-चलन में बदलाव दिख रहा है। शरीर पर के कपड़े भी मैचिंग के साथ शरीर की सुंदरता बढ़ा रहा है। मैडम आज ड्रेस जो पहन कर आई हो इसमें बहुत ही खूबसूरत लग रही हो! मैंने बोला। अच्छा यह बात है! प्रिया मैडम बोली। जी मैडम! और-तो-और मैडम आप अपने चरणों में जो चरण पादुका पहनी है, वह भी मैचिंग कर रहा है। बाकी तो पूछिए मत, बिना चश्मा के भी लाजवाब लग रही है। सच में! जी, सच में मैडम।
खैर! वह दिन बीता, रात बीती, अगले दिन की शुरुआत हुई। फिर जैसे अन्य दिनों के अनुसार हम लोग जो कार्य करते थे, वैसे ही करने लगे। फिर अचानक सा उस दिन दोपहर के समय में जहां पर मुकेश सर, सेहरा मैडम, प्रिया और मैं था। वहीं पर मजाक-मजाक में प्रिया मैडम ने मेरे बारे में कुछ ऐसा कह डाली, जिसे सुनकर मैं आश्चर्यचकित रह गया और मैंने सोचने लगा कि मैडम मेरे बारे में ऐसा भी सोचती है, बस उनका यही बात मेरे दिल को छू गया।
उस दिन से मेरा प्यार प्रिया मैडम के प्रति बढ़ने लगा। अभी प्यार की पहली कड़ी शुरू होने वाली थी, तब तक उनका बेल्ट्रॉन के माध्यम से कार्यपालक सहायक में चयन हो गया। अब वह जाकर के जॉइनिंग ले ली। अब यहां इस ऑफिस में उनका आना जाना बंद हो गया, तभी मैंने उनके नाम से एक कविता लिखी:-
“आप तो फूल थी गुलाब की, मैं सुगंध ढूंढ रहा था; सुनो प्रिय प्रिया।
आप तो स्वाद थी नीम की, मैं शहद ढूंढ रहा था; सुनो प्रिय प्रिया।।”
इस कविता को लिखने के बाद मैंने उनके व्हाट्सएप पर सेंड किया, तो उसने इस कविता को पढ़ा भी, फिर ज्वाइनिंग लेने के दो दिन बाद ऑफिस आई, सबको मिठाई खिलाई, मुझे भी खिलाई, पर कुछ बोली नहीं सिर्फ मुस्कुरा कर चली गई।
अब मिलना-जुलना बंद हो गया, सिर्फ व्हाट्सएप ही एक माध्यम था, जिससे बातचीत किया जा सकता था। तब तक मैंने अपने प्यार का इजहार एक गीत से कर दिया:-
“हां, मुझे प्यार हुआ – प्यार हुआ प्रिय प्रिया -२
हां, मुझे प्यार हुआ प्रिय प्रिया..ऽ..ऽ..ऽ
भरी जवानी में इकरार हुआ प्रिय प्रिया
हां, मुझे प्यार हुआ – प्यार हुआ प्रिय प्रिया…”
बस इस गीत के माध्यम से ऑफिस के सारे स्टाफ मेरे प्यार के बारे में जान गए और उन लोगों ने सीधा फोन कॉल से संपर्क करके मजाक-मजाक में ही इस बात को कह दिए इस पर बेचारी ‘हां’, में तो जवाब नहीं दिया और इस बात से कनी काट के निकल गई।
फिर मैंने इस गीत को उसके व्हाट्सएप पर भेज दिया, अब वह इस पर कुछ ना कही और नंबर ब्लॉक कर दी। शायद वह चाहती थी कि इस प्यार के बारे में कोई ना जाने, क्योंकि हर लड़की यहीं चाहती है, पर मैंने पहली बार प्यार किया था, दिल से किया था इसलिए मालूम नहीं था और इसे कविता एवं गीत के माध्यम से उजागर कर दिया।
फिर दो दिन बाद जब नंबर को अनब्लॉक की, तो मैंने एक और गीत के माध्यम से उसे मनाने की कोशिश की।
“पहली पहली बार हुआ
प्रिया तुमसे प्यार हुआ
कैसे बताऊं तुम्हें हायऽ.ऽ..ऽ
कैसे समझाऊं तुम्हें हायऽ.ऽ..ऽ
कैसे बताऊं तुम्हें…”
पर इस पर भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वह जितनही कुछ जवाब नहीं दे रही थी उतनही इधर बेचैनी बढ़ रही थी। जिसके वजह से कभी कविता तो कभी गीत दिल से निकल रहे थे। फिर मैंने एक और गीत के माध्यम इजहार करते हुए पूछा…
“सुनो प्रिया-सुनो प्रिया मैं तेरा दीवाना
मैं तुम पे मरता हूं दिल है परवाना
सच्ची-सच्ची बात दिल बोले
प्रिया रे क्यों ना तू बोले – ४”
फिर उसने नंबर ब्लॉक कर दिया और हमेशा के लिए कर दिया। अब इधर मेरा प्यार धीरे-धीरे सिर चढ़ता गया और अजीब सी फील होने लगी।
“पता नहीं क्यों आज अजीब सी फील हो रही है, नींद भी नहीं आ रही है। घबराहट सी महसूस हो रही है। बार–बार अंदर से एक तरह की आवाज आ रही है, जो जुबान से निकल नहीं रही है और ये सभी मेरे साथ पहली बार हो रहा है, इसके पहले अभी तक मेरे जीवन में ऐसा कभी नहीं हुआ था।”
“तेरे बिन नींद नहीं आती है,
नींद आती है तो तू सपने में आ जाती है।
क्या करूं, ना करूं, कुछ समझ में नहीं आता,
तू हमें दिन रात तड़पाती है।।”
“सुना हूं,
शाम के सपने पूरे नहीं होते,
सुबह के सपने बुरे नहीं होते।
क्या मानू, ना मानू, क्योंकि हम,
दोनों समय सपने में अधूरे नहीं होते।।”
इस सारी बातों को मैंने उस व्हाट्सएप ग्रुप में डाला, जिस ग्रुप में वो थी, अब वह इस ग्रुप से भी बाहर हो गई, फिर मेरे दिल से एक और गीत निकला।
“जब से चाहा हूं तुमको मैं चाहता रहूंगा
तू मिले ना मिले मैं याद करता रहूंगा
तेरी खुशियों की खातिर मैं कुर्बानी दूंगा
तू मिले ना मिले मैं याद करता रहूंगा”
तुझे उस दिल में बसाया जिसमें पहले किसी को नहीं।
तुझे उस आंखों में सजाया जिसमें पहले किसी को नहीं।।
पर तू तो बेवफा निकली, मेरे प्यार के लायक ही नहीं।।।
इतना सारा होने के बावजूद भी उसकी यादें दिल से निकलता नहीं, फिर क्या था?
“मन के कईसे मनाई ओऽ..ऽ…ऽ
दिल के कईसे समुझाई ओऽ..ऽ…ऽ
मन के कईसे मनाई
दिल के कईसे समुझाई
मन मानेना मोरा समझे दिल….ओऽ..ऽ…ऽ
प्रिया आके जल्दी मिल – ४”
पर अब यह सब कहां होने वाला है? अब सबकुछ खत्म हो गया है। शायद उसको संविदा नौकरी का गुरूर चढ़ गया है, तभी तो वह सुनती नहीं। फिर मेरे दिल से एक गीत गुस्से में निकला।
“जिस दिन मिलोगी मुझे तकदीर से
कैसे मिलाओगी नजर तुम नज़र से
झुक जाएंगी तेरी आंखे
रुक जाएंगी तेरी सांसे
जिस दिन मिलोगी मुझे तकदीर से
कैसे मिलाओगी नजर तुम नज़र से”
तब तक इधर कोराना का दूसरी लहर शुरू हो गया है, बहुते ने अपनो को खो दिया है। पूरे गांव शहर में कोरोना ने कोहराम मचा दिया है। इसी को नजर में रखते हुए गांव से आने वाले को ऑफिस से छुट्टी मिल गई, जिसमें मैं भी था। फिर अचानक से एक दिन तबीयत बिगड़ती है, हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाता है, जांच में पता चलता है कि कोरोना पॉजिटिव हूं। यही स्थिति उधर प्रिया के साथ होती है, वही भी सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती है, जो कोरोना से ग्रसित है। यहां पर हमारे घर वाले और उनके घर वाले से कोई संपर्क नहीं है, कोई जान पहचान भी नहीं है। फिर अचानक एक दिन खबर मिलती है कि हम दोनों की देहांत हो गई। बस था क्या? कोई भी अपना चाहकर शरीर को छू नहीं सकता है, क्योंकि कोरोना ने इतनी भयंकर महामारी फैला गई है। जिससे कोरोनावायरस व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति को भी कोरोना हो जाती है, इससे सरकार की गाइडलाइंस है कि मृत शरीर को भी किसी परिवार वालों को छूना नहीं है। बस हॉस्पिटल से मृत शरीर को प्लास्टिक में पैक करके एंबुलेंस के माध्यम से परिजन को उनके श्मशान घाट ले जाकर सौंप दिया जाता है। इसी तरह हम लोग के साथ भी हुआ और हमारा मृत शरीर भी परिजन को श्मशान घाट सौंप दिया गया।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पुरुष के मृत शरीर का दाह संस्कार करने से पहले उसका मुंडन किया जाता है, पर कोरोना की वजह से यह सब कुछ नहीं हुआ। फिर चिता सज गई और मुख अग्नि के लिए जब मुंह के पास से प्लास्टिक हटाया गया तो पता चला कि यह मृत शरीर किसी लड़की का है। इधर सरकारी हॉस्पिटल के कर्मचारियों की पोल खुल गई। श्मशान घाट पर हंगामा सा मच गया। इस लड़की के मृत शरीर को देखने के लिए लोगों में चहल-पहल होने लगी। बारी-बारी से सभी लोगों ने देखने लगे और अपना गुस्सा सरकारी हॉस्पिटल के कर्मचारियों पर अशब्द कह कर निकालने लगे। उसी समय मेरे दाह संस्कार में सम्मिलित होने के लिए मेरे ऑफिस से मुकेश सर, दीपक सर और श्याम सर पहुंचे हुए हैं। जब इन लोगों ने देखा तो पहचान गए कि प्रिय मैडम की लास है। इन लोगों को पहले से मालूम था कि हम दोनों की कोरोना से ही मौत हुई है और एक ही दिन हुई है, तो हो सकता है लास इधर-उधर बदला गया हो, तो इन लोगों ने प्रिया मैडम के परिजनों से फोन कॉल से संपर्क किया और व्हाट्सएप से तस्वीरें शेयर की तो बात सच निकली। अब इन लोगों के माध्यम से मेरे मृत शरीर को मेरे गांव पहुंचाने की बात कही गई। पर विधि के विधान को कौन काट सकता है? “बिन बियाहे मैं अपने ससुराल चला गया और वह अपनी ससुराल” खैर, इस बात को छोड़िए।
इधर मेरे प्यार के बारे में दो ही लोग जानते हैं जो मौजूद हैं वो हैं मुकेश सर और दीपक सर, इस बात के श्याम सर को भनक भी नहीं है। बस मुकेश सर इस सारी बातें को श्याम सर से शेयर करने लगे (हंसते हुए)। तभी इधर प्रिया के गांव से मेरा मृत शरीर मेरे गांव के श्मशान घाट पहुंच गया और इस लास के साथ प्रिया के कुछ परिजन भी आए हैं।
अब इधर श्याम सर मुकेश सर से कहते है कि मुकेश जी हम लोग तो इन बेचारे के प्यार को जिंदा में तो मिला नहीं सके और भगवान मरने के बाद भी मिलाने के प्रयास कर रहे हैं, तो क्यों ना अभी से ही हम लोग मिला दें और इन दोनों की लास को एक ही चिता पर सजावा कर दाह संस्कार कराया जाए। बस ऐसा ही हुआ, हम दोनों की लास एक ही चिता पर सजाया गया। फिर से मुझे उससे बात करने की मौका मिल गया। इधर लोग पंचकर्म कर रहे थे। तभी हमने प्रिया से कहा:-
“प्रिया तेरे प्यार में हम दीवाने हो गए रे – हम दीवाने हो गए रे -२
हो गए रे.ऽ..ऽ – हो गए रे.ऽ..ऽ – हो गए रे
प्रिया तुमसे मिलते नजर हम नजराने हो गए रे- हम नजराने हो गए रे -२
हो गए रे.ऽ..ऽ – हो गए रे.ऽ..ऽ – हो गए रे
प्रिया तेरे प्यार में हम दीवाने हो गए रे – हम दीवाने हो गए रे
तेरी सूरत जैसी मूरत मैंने देखा न कभी
मेरे दिल ने तेरे दिल को अपना लिया है अभी
ओ प्रिया.ऽ..ऽ – कहे तो दिया.ऽ..ऽ -२”
बस हुआ क्या? हमेशा की तरह गुस्सैल प्रिया फिर से गुस्साई और बोली; लगन सर आप मुझसे दूर रहिए! मैंने कहा; अब कितना दूर भागीएगा! आप भागती रही, भगवान मिलाते रहे। यहां तक की एक ही चिता पर भगवान ने सजावा दिया। तभी वह उठकर चलने को हुई। बस इधर लकड़ी को हिलते देख बहुत लोग भाग खड़े हुए, पर कुछ लोगों ने हिम्मत दिखाई और हम लोगों के शरीर से लकड़ी हटाई तो हमलोग उठ खड़े हुए। अब लोग देखकर अचंभित हो गए। अब लोग जानने की कोशिश करने लगे कि इन दोनों के बीच क्या मामला है? और प्रिया के घर के लोग भी। तभी मुकेश सर और श्याम सर सारे लोगों को हमारे प्यार के बारे में बताएं और विधिवत घटी घटना को समझाएं। बस था क्या? सारे लोग शादी कराने की बात कही। उस समय प्रिया के पिता ने भी प्रिया को समझाते हुए कहे; देख बेटा आज अगर तू जिंदा है, तो इन्हीं के प्यार की वजह से, क्योंकि अगर ये प्यार तुझसे नहीं कर रहे होते, तो आज तुम जिंदा नहीं होती और नहीं ये। तुमने भागने की कोशिश की, पर भगवान ने मिलाने की। फिर तुम्ही बताओ इस विधि के विधान को कौन काट सकता है? जब विधि का विधान यही है तो करना क्या है? बस करलो शादी।
तभी शालिनी जगाते हुए; सर-सर कब तक सोएगा? आज घर नहीं जाना है! किस ख्वाब में खोए हैं? शाम को पांच बज गए। हमने आपको बीच में इसलिए नहीं जगाया कि कहीं ज्यादा थकान महसूस कर रहे होंगे तो थोड़ा आराम कर लिजिए, पर आपने तो पूरा पांच बजा दिए। तब मेरी नींद टूटी, तो पता चला कि भाई सारा घटना क्रम तो ख्वाब में था।
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✍️जय लगन कुमार हैप्पी ⛳
बेतिया, बिहार