अनेक रंग जिंदगी के
अनेक रंग जिंदगी के, फिर क्यों सवाल है
जीना तो हर हाल है, फिर क्यों बवाल है।
किसी दामन में खुशियां,किसी में है ग़म
कहीं छूते आसमान,कभी जमीं पर हम।
कभी लाली भौंर की ,कभी ढलती शाम
छोड़ चिंता मन की ,प्रभू का ले नाम।
जिंदगी कभी कर देती फूलों की बरसात
कभी कभी कांटों के बिस्तर पर हो रात।
फिर भी मानव जीवन ईश्वर का वरदान।
कृपा उसकी हो अगर,फिर मिले सम्मान।
सुरिंदर कौर