अनुरोध
मधुर-मधुर इस स्वर में सदा गाते रहना ऐ कोयल….
कूउउ-कूउउ करती तेरी मिश्री सी बोली,
हवाओं में कंपण भरती जैसे स्वर की टोली,
प्रकृति में प्रेमर॔ग घोलती जैसे ये रंगोली,
मन में हूक उठाती कूउउ-कूउउ की ये आरोहित बोली!
मधुर-मधुर इस स्वर में सदा गाते रहना ऐ कोयल….
सीखा है पंछी ने कलरव करना तुमसे ही,
पनघट पे गाती रमणी के बोलों में स्वर तेरी ही,
कू कू की ये बोली प्रथम रश्मि है गाती,
स्वर लहरी में डुबोती कूउउ-कूउउ की ये विस्मित बोली!
मधुर-मधुर इस स्वर में सदा गाते रहना ऐ कोयल….
निष्प्राणों मे जीवन भरती है तेरी ये तान,
बोझिल दुष्कर क्षण हर लेती है ये तेरी मीठी गान,
क्षण भर में जी उठते हैं मृत से प्राण,
सपने नए दिखाती कूउउ-कूउउ की ये अचम्भित बोली!
मधुर-मधुर इस स्वर में सदा गाते रहना ऐ कोयल….