अनुरोध
कुछ शब्द पिरो कर लाया हूँ
कुछ गीत संजो कर लाया हूँ ।
तुम चाहो तो स्वीकार करो
तुम चाहो तो इनकार करो
तुम चाहो तो नाराज रहो
तुम चाहो तो प्रतिकार करो ,
कुछ साज सजा कर आया हूँ
कुछ राज बताने आया हूँ ।
ढलता जीवन बहता पानी
बहुतों की प्यास बुझाई है
इस जीवन की अरुबेला मे
बहुतों से रीत निभाई है ,
कुछ याद दिलाने आया हूँ
कुछ बात बताने आया हूँ ।
कम रहा समय डूबा सूरज
अरुणिम लाली अब रिक्त हुई
थक बैठा मरूमय जीवन अब
हरियाली अब सब तिक्त हुई ,
कुछ तुमसे कहने आया हूँ
कुछ तुम से सुनने आया हूँ ।
अंतिम पड़ाव है आने को
मैं खड़ा किनारे ताक रहा
यह लहर मिले किस सागर में
उस गहराई को नाप रहा ,
मैं सब खोने को आया हूँ
पूर्ण होने को आया हूँ ।
विपिन