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23 Jun 2020 · 1 min read

न देख

इस चमकती रेत में मोजों की रवानी न देख
यह तो है सूखी नदी इसमें जरा पानी न देख

जिसकी झोली में दुआओं का भरा भंडार है
उसके दामन में कोई इक कौंड़ी कानी न देख

अजनबी शहरों में तो हमदर्द भी मिल जाएंगे
रहनुमा को देख केवल दुश्मन जानी न देख

दान देने के लिए मन की अमीरी चाहिए
यह लगी है भीड़ इसमें नामवर दानी न देख

सत्पुरुष की जिंदगी साहित्य का एक ग्रंथ है
इसको पूरा देख महज कुछ कहानी न देख

वक़्ते आफत में तुझे जो मिल गया सो ठीक है
इसमें न पकवान ऊंचे और गुड़ धानी न देख

तन तो मिट जाता यहां आत्मा नहीं मरती कभी
जो अमर हैं उनको अपने आप से फ़ानी न देख

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