अनुपम माँ का स्नेह
अनुपम मां का स्नेह है , अनुभव का नहि तोड़।
शतजीवी हों कामना,माँ अपनी बेजोड़।
माँ अपनी बेजोड़ ,समस्या सब हर लेती।
ममता की है छाँव,ठाँव है सबको देती
कहें प्रेम कवि राय, मातु सत्ता सर्वोत्तम।
मातु वेद सम ऋचा, मातु की वाणी अनुपम।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम