अनुनय
हे महादेव तुम जब सब जानते हो।
मेरी यह विनती क्यों न मानते हो।।
रक्षित नहीं हैं हमारी बगिया की कलियाँ ।
हैं बसे जब तक ऐसे नराधमों की बस्तियां ।।
हे भूतेश्वर तुमको ही अब आना होगा ।
काल बन कर इनको लील जाना होगा।।
जानते हो जब तुम ऐसे जहरीला बीज को।
तो प्रारम्भ में ही न क्यों इन्हें नोच डालते।।
हे कल्याणेश्वर बस इतना ही तुम कर दो।
बच्चियों बेटियों को तुम निर्भयता का वर दो।।