अनुत्तर प्रश्न ?
कभी कभी मेरे मन में ये सवाल आता है ,
कि मेरे दिल के सवालों को बनाया गया है किसके लिए।
मेरे दिल के प्रश्नों के उत्तर ना मेरे दिल के पास हैं ,
जाने ऐसा क्या उन प्रश्नों में खास है ।
मैं किसी से अपने दिल के सवालों को पूँछ नहीं पाता हूँ ।
क्या मैं किसी से अपने दिल की बात कहने से घबराता हूँ ।।
पर फिर मेरा मन कहता है मुझसे ,
तुम घबरा नहीं सकते ।
तुम स्वच्छंद विचारों वाले हो ,
तुम किसी से दिल की बात छुपा नहीं सकते ।।
यही मन और दिल की बात मैं समझ नहीं पाता हूँ ।
मैं अपने दिल के सवालों को दिल में ही दफनाता हूँ ।।
फिर एक दिन मैं अपने आप से पूँछता हूँ ,
कि गरीब क्यों गरीब है ?
क्या उसके रिश्तेदार नहीं हैं ?
क्या उसमें भावनाएँ नहीं हैं ?
क्या वो अपने दिल के करीब है ?
क्या पृथ्वी पर सब सुखी हैं ?
यदि नहीं तो क्यों दुखी हैं ?
दुनिया में रंग किसने भरे ?
क्यों पेड़ पौधे हैं हरे ?
क्यों दुनिया है रंगबिरंगी ?
इन्द्रधनुष क्यों है सतरंगी ?
बारिश का मौसम क्यों
रिश्तों में मधुरता लाता है ?
बसंत में क्यों प्राणी मन
उत्साहित हो जाता है ?
प्रश्न दिल के हैं बहुत से ,
और ये तो मेरे मन की मूँढता है ।
जो प्रश्नों की दुनिया में ,
इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढता है ।।
– नवीन कुमार जैन