अनार (बाल कविता)
अनार (बाल कविता)
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बंदरिया बोली बंदर से
मेले में जब जाना,
दो अनार अच्छे-से
दीवाली पर लेकर आना
गया शहर में मेले बंदर
दो अनार ले आया,
खुशी – खुशी बंदरिया के
हाथों में उन्हें थमाया
जब देखे अनार
बंदरिया बोली “क्या सठियाए ?
खाने वाले नहीं
फुलझड़ी वाले थे मँगवाए ।।
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451