अनाम रिश्ते
कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं,
जिनका नाम नहीं होता|
पावन गंगा जल से भी
क्योंकि-
गंगाजल में धुलता है-
पापियों का पाप भी,
मगर,
उन रिश्तो में कोई भी
कालुष्य नहीं होता|
अग्नि से भी निर्मल
जलता है पावक में,
सब कुछ
हविष्य और अहविष्य
मगर,
उन रिश्तो से जलता नहीं
जगता है
स्नेह का कोमल अहसास||
शब्द ब्रह्म से भी पवित्र,
क्योंकि-
शब्दों में बुना गया
तुच्छ भावनाओं का
मायाजाल|
मगर,
उन रिश्तो में नहीं
कोई द्वन्द्व कोई जंजाल|
एक निश्छल
मृदु मोहक मुस्कान
पर्याप्त है
उन्हें देने को अर्थ|
इन्सां के ऐसे
अनाम रिश्तों को
दिल की देहरी से
शत्- शत् प्रणाम |
प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव अलवर