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23 Aug 2021 · 1 min read

अनाम की मौत पर

नफरतों की आग तुम और भड़का कर गए

जाते जाते ही सही दिल को जला कर के गए

क्या हुआ गर तुम लगा लेते गले से भींच कर

हिन्दू-मुस्लिम, ऊंच -नीच की खाई बना कर के गए

तुम को बरसो तक भले ही याद रखे ये ज़माना

साथ ही नफरत के नामो से पुकारेगा तुम्हें

चोट थी मरहम लगाते, प्यार के तुम गुल खिलाते

जलना तुम को था क्यों गुलशन को जलाकर तुम गए

नफरतों की धूप को तुमने पाला बरसों तक

कौन सा साया लिए तुम फानी दुनिया से गए ?

क्या सियासत ने तुम्हारा मार डाला था ज़मीर

मर चुके कब के थे तुम या साथ रुतबा ले गए ?

नफरतों की आग तुम और भड़का कर गए

जाते जाते ही सही दिल को जला के गए

2 Likes · 4 Comments · 253 Views
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