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20 May 2020 · 1 min read

अनाम।

हर रिश्ता इस दुनिया में अगर,
बस नाम से जाना जाता,

तो अनाम रिश्ता और निस्वार्थ भाव,
कभी ना माना जाता,

जो अल्फाज़ से परे हो,
वो बयान कैसे हो सकता है,

जिस रिश्ते का कोई नाम ही नहीं,
वो बदनाम कैसे हो सकता है,

जीवन भर संग रहने की जहां,
कोई आशा नहीं होती,

वहां कभी ना मिल पाने की,
कोई निराशा भी नहीं होती,

कुछ बातों और जज़्बातों की कहीं,
कोई भाषा नहीं होती,

बिना स्वार्थ के जन्मे एहसासों की,
कहीं कोई परिभाषा नहीं होती।

कवि-अम्बर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 553 Views
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