Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2024 · 3 min read

अनाथों की आवश्यकताएं

जो इस दुनिया के लिए उपयोगी नहीं है, वह एक अनाथ के लिए बहुमूल्य रत्न सरीखा होता है। वही वस्तु या चीज जो दुनिया के लिए अनुपयोगी है, उस अनाथ के लिए अत्यन्त आवश्यक होती है। अनाथ जिसके पास कोई नहीं है, उसकी सबसे बड़ी और मूलभूत आवश्यकता यह है कि उसे एक आधार तथा दो वक्त का भोजन नसीब हो। इनका ना तो कोई मूल उद्देश्य होता है और ना ही इनकी कोई निश्चित ख्वाहिश। इनके जीवन में ना तो कोई मान्यता प्राप्त लक्ष्य होता है और ना ही इनकी कोई निश्चित मंजिल होती है। इनका तो बस एक मात्र उद्देश्य होता है, जिसमें ताउम्र वह दिन में भूख के लिए लड़ता है और रात में उजाले के लिए जद्दोजहद करता रहता है। अभी मातृ दिवस को ही इन अनाथों से अगर जोड़ कर देखा जाये तो इनके लिए माँ की ममता का महत्व ईश्वर की प्राप्ति सरीखा है, मगर दुनिया जिनके सिर पर माँ की छत्रछाया तो है परंतु उन्हें उनकी अहमियत बिल्कुल भी पता नहीं बस मातृ दिवस के प्रचार-प्रसार में ही मस्त हैं, यही सच है अन्यथा यह वृद्धाश्रम आखिर किस बात का प्रमाण है ?
विशाल धरती और अनन्त आकाश के बीच एक अनाथ की गहरा रिश्ता है, क्योंकि उसके लिए धरती ही उसकी माँ या उसका बिस्तर और आकाश पिता या चादर के समान है। संरक्षण विहीन यह वर्ग धरती और आकाश के भरोसे पर जीवन जीता है। जहाँ ज्यादातर विकासशील देशों में लोग जाति-धर्म के समीकरण में जूझ रहे हैं, तो वहीं यह अनाथ वर्ग जिसकी ना कोई जाति है और ना ही कोई धर्म, बस पेट की धधकती भट्ठी को बुझाने के लिए प्रयासरत है। सच तो यह है कि यह वह वर्ग है, जो हमारे समाज का हिस्सा होते हुए भी उपेक्षाओं की शिकार है। इन अनाथों की आँखों में कुछ करने की चमक तो है, परन्तु सामने खाने को खाना नहीं है। क्योंकि यह अनाथ दो वक्त की रोटी के लिए जितनी मेहनत, जितनी कोशिश और जितना दिमाग का उपयोग करता है, उतना शायद ही कोई सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ रहा समाज का सामान्य बालक कभी करता होगा। अनाथों की यह कोशिश कमतर इसलिए हो जाती है, क्योंकि इनका तो एक मात्र लक्ष्य भोजन की व्यवस्था करना है। सच कहें तो एक अनाथ का जीवन लक्ष्यहीन होता है, क्योंकि पेट तो पशु भी भरता है।
इन अनाथों की समस्याएँ, उनका दुःख-दर्द जिसे हमारे मानव समाज के द्वारा एक अलग तबके के रूप में देखा जाता है, क्या किसी और की समस्या से कम होती हैं? नहीं, बल्कि कुछ ज्यादा ही होती होगी, जिसका सामना उन्हें रोज़ करना पड़ता है। मुसीबत के मारे इन अनाथों की खबर लेने वाला कोई नहीं होता। अनाथ होना एक बच्चे के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि नियति ने कुछ मासूम बच्चों के साथ इतना क्रूर मज़ाक कैसे कर लिया होगा? उनकी पीड़ा को हम अपने परिवार के साथ रहने वाले शायद नहीं समझ सकते हैं। कहते हैं कि माँ एक ऐसी बचत बैंक केन्द्र का रूप होती है, जहाँ हर बच्चा अपनी भावनाओं और दुःखों को बिना किसी रोक-टोक के जमा कर सकता है तथा पिता एक ऐसा मास्टर क्रेडिट कार्ड होता है, जिसे हर बच्चा अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु कहीं भी कभी भी बेझिझक उपयोग में ला सकता है। ऐसे में उन अनाथों का क्या ? जिसके पास ना तो माँ रूपी बचत बैंक है और ना ही पिता के रूप में कोई भी मास्टर कार्ड है। ऐसे में एक अनाथ के मन में दो वक्त की रोटी और जीवन जीने के लिए बाह्य व आंतरिक जद्दोजहद के बीच आखिर किस तरह का उद्देश्य का जन्म लेगा, आप ही बता सकते हैं।

Language: Hindi
Tag: लेख
98 Views

You may also like these posts

#हरिहर मेरे राम जी
#हरिहर मेरे राम जी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
या सरकारी बन्दूक की गोलियाँ
या सरकारी बन्दूक की गोलियाँ
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मौसम
मौसम
Sumangal Singh Sikarwar
പൈതൽ
പൈതൽ
Heera S
Opportunity definitely knocks but do not know at what point
Opportunity definitely knocks but do not know at what point
Piyush Goel
गीत- कृष्णा की पुकार सुनो...
गीत- कृष्णा की पुकार सुनो...
आर.एस. 'प्रीतम'
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
घुटन
घुटन
Preksha mehta
प्रेम का असली सौंदर्य तो प्रतीक्षा में दिखता है, जहां धैर्य
प्रेम का असली सौंदर्य तो प्रतीक्षा में दिखता है, जहां धैर्य
पूर्वार्थ
सात वचन,सात फेरे सब झूठ निकले।
सात वचन,सात फेरे सब झूठ निकले।
लक्ष्मी सिंह
सुन्दरता
सुन्दरता
Rambali Mishra
Mental health
Mental health
Bidyadhar Mantry
बात सीधी थी
बात सीधी थी
Dheerja Sharma
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
वक़्त का सबक़
वक़्त का सबक़
Shekhar Chandra Mitra
लक्ष्य प्राप्त होता सदा
लक्ष्य प्राप्त होता सदा
surenderpal vaidya
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
" आपने "
Dr. Kishan tandon kranti
मधुमाश
मधुमाश
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मैं कौन हूँ कैसा हूँ तहकीकात ना कर
मैं कौन हूँ कैसा हूँ तहकीकात ना कर
VINOD CHAUHAN
फूल या कांटे
फूल या कांटे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
Sarfaraz Ahmed Aasee
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
🙅अहम सवाल🙅
🙅अहम सवाल🙅
*प्रणय*
भूल गया कैसे तू हमको
भूल गया कैसे तू हमको
gurudeenverma198
*जीता है प्यारा कमल, पुनः तीसरी बार (कुंडलिया)*
*जीता है प्यारा कमल, पुनः तीसरी बार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
2581.पूर्णिका
2581.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मृत्यु तय है
मृत्यु तय है
संतोष बरमैया जय
" REMINISCENCES OF A RED-LETTER DAY "
DrLakshman Jha Parimal
हे मां शारदे ज्ञान दे
हे मां शारदे ज्ञान दे
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
Loading...