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12 May 2024 · 2 min read

सत्यम शिवम सुंदरम🙏

सत्य की खोज🙏🙏
🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵
संस्कृति परंपरा का देश न्यारा
सत्यअहिंसाआस्था विश्वास भरा
पार्वती संग नाचें गाएं शंकर भोले
श्मशानी चिता स्वेत भस्म लगाए

मणिकर्णिका हरिश्चंद घाट काशी में
होली दिवाली अद्भूत लोक निराली
धर्म कर्म आस्था सत्य खोज अति
निज धर्म महान दूजा सब बेकार

परंपरागत भाव मतभेदी रूप छिपी
धर्म कर्म कीअगुवाई बढ़ती मंहगाई
जठरानल शांति में लाचार विवश
माता पिता बहना बच्चे और भाई

सत्य यही दूजा खोज क्या करना है
अवध में राम काशी में शिव वैरागी
वृंदावन वासी कान्हा सत्य यही
जगत के पीर धीर वीर समस्त है

सत्य सनातन जीवों की शक्ति
सृष्टि प्रकृति नजरों में सत्य परोक्ष
पाप पुण्य गरीबीअमीरी बेरोजगारी
नर पिचाश घूम रहा लिए कृपाण

नारी आबरू सम्मान रक्षा कीआस
फिर भी लुटी जाती है आस पास
सत्य धूमिल हो पाप बढ़ती जाती
कानून पर कानून बनती बिगड़ती

न्यायमूर्ति लाचार विवश हुई पड़ी
एक निपटारा दूसरा सामने खड़ा
स्वच्छ श्वांस हवा हो रही दूषित
प्रकृति रानी रोती चिल्लाती है

रोग जीवाणु विषाणु बढ़ती है
ब्लैक होल्स पार कर कोरोना सी
महामारी जन की शव रंगोली से
अमूल्य प्राणी मिटाती रहती है

प्रयास सफल विफल होती रहती
सत्ते पर सत्ता आती और जाती है
जागरूकता तो खोटे सिक्के पड़े
सिंहासन होड़ खड़े जनता रोती

आधुनिकता पैर पसारे सत्य दबाए
असत्य हड़प रही जन की भलाई
सत्य संगीन पर्णी कस्ट पथ राही
पाप छनभंगूर नश्वर पथगामी है

उठते-चलते धंसता ही जाता है
मिलता इसे कहाँक तट किनारा
अपने ही छोड़ चले जाते हैं ये
असत्य निज पहचान बनाते हैं

अंतहीन क्षितिज पर सत्यमेव
जयते नाद गुंजन करता रहता है
निर्वात आवाद संवाद लघु सत्य
मिथ्यावादी निडर घूम घूमक्कड़

सत्यवादी असहाय निराश रहता है
बर्बर शोषित कुपोशित जनघबराता
सत्य की एक पहचाननृप हरिश्वचंद
रानी शैव्या नाजुक पुत्र रोहिताश्व

काशी डोम हाथ बिक श्मशान बसे
सर्प डंस मृतक पुत्र अग्नि संस्कार
निज भार्या से आंचल फाट कफ़न
मांग सत्य की परकाष्ठा सावित कर

दीक्षा दिए संसार पर कान खुला
आंखे बन्द समझ नहीं ये पाता है
जग सत्य जनमानस मे दिल सत्य
दिमाग सत्य ज्ञान सत्य चंचल तन

माया मोह प्रेम प्यार सत्य है काया
पलते कुविचारों का लिए सहारा
इससे बड़ा ना पाताक जग में
सत्य यथार्थ है यथार्थ ही सत्य

खुले नजर सामने जो वही सत्य
सत्य कुचला जाता है पर विजयी
सौन्दर्य पुंज जग में छा जाता है
नभ तल घन जल स्वच्छ शीतल

मन प्रकृति का सुन्दर सपना है
सत्य यही है नव खोज यही है
विपरीत शानो शौकत निमोही
काया लोभी माया हिंसक प्रवृति

ऐसा दीर्घ ना कोई पाताक जन है
तन मन धन आयु मरण निश्चित
सत्य मान इसे छोड़ प्राणी अपमान
खोज सत्य पहचान जीवन है महान

🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵

तारकेशवर प्रसाद तरूण

Language: Hindi
119 Views
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
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