” अनचाहा उपहार “
सपने देखते हैं किसी और के ,
वायदा कोई कर जाता है ।
हृदय में कोई बसता है ,
तन किसी और को सौंप दिया जाता है ।
रिश्ते की सच्ची नींव बनाने की कोशिश में ,
हर बात को सांझा किया जाता है ।
पहले हमदर्द बनकर सब कुछ अपना लिया जाता है ,
तीसरे सख्स के बातों की साज़िश सुन ,
शक का बीज बो दिया जाता है ।
अपने हिसाब से हर बात को तौला जाता है ,
नासमझी के दौर में सीधे को भी उल्टा कहा जाता है ।
कुछ ना कहने पर भी ,
अपने आप ही सारा अनुमान लगा लिया जाता है ।
खुद को उस परिस्थिति में रख ,
कहां किसी को जांचा जाता है ।
अपने हट के आगे ,
कहां किसी के विचारधारा को समझा जाता है ।
गैरों की तो बात नहीं कोई ,
अपनों को भी बिना मतलब कहां समझा जाता है ।
प्रेम के प्रतीक राधा-कृष्ण की पुजा कर ,
प्रेमियों को कहां सम्मान दिया जाता है ।
जबरदस्ती के समझौते को ,
धर्म के बेडीयो में बांध दिया जाता है ।
अपने गलती को छुपाने के लिए ,
इल्ज़ाम एक – दूसरे पर डाल दिया जाता है
हर छोटी-बड़ी बात पर ,
चरित्र का प्रमाण दिया जाता है ।
रिश्तों को जिंदा जला कर ,
उसी पर हाथ सेका जाता है ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️