अनकही : प्रेमकथा
क्यों आते हो,सपनों में मेरे
क्यों सारी रात जगाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
क्यों करते, बेचैन इस क़दर
क्यों इतना सताते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
इतनी मीठी बातें कर
क्यों इस हाल में छोड़ जाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
सपनों की दुनियाँ में आकर
क्यों शोर मचा जाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
तुम सा है कोई नहीं
इस बात को क्यों झुठलाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
साँसों में तुम समाकर
धड़कन क्यों बन जाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
करती जब बातें तुमसे
सिर्फ़ तुम ही नजऱ आते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
क्यों करते आकर्षित मुझको
क्यों परवान चढ़ाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
प्यारी नींदों में आकर
क्यों मुझको जगा जाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
धागा रेशम हूँ मैं
तुम रेशमी कहलाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
मेरी अश्क़ों में तुम
साफ़ – साफ़ नज़र आते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
मिलती नहीं है सोच जहाँ
वहाँ से क्यों मुड़ जाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
बारे में मेरे सोच
क्यों इतना इठलाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
क्यों करते नादानी इतनी
क्यों न मोह छुड़ाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
क्यों जकड़े हो मोह में
पीछा क्यों न छुड़ाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
क्यों हो इस अंजुमन में
क्यों न ठौर तलाशते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
नाज़ुक है रिश्ता हमारा
क्यों इसको उलझाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
क्या करोगे प्रेम करके
हासिल क्या कर पाते हो
दिल चीज़ क्या है ये
तुम क्यों न समझ पाते हो।
दिल चीज़ क्या है
आप मेरी जान लीजिए
बस एक बार
मेरा कहा मान लीजिए।