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21 Aug 2020 · 1 min read

अनकहा दर्द

मिरे कमरे में दरवाजा नही लगता
तुझे मेरा ये गम ज्यादा नही लगता

रहोगे तुम हमेशा साथ मेरे ही
मुझे पक्का तिरा वादा नही लगता

सँवरती हो खिडकी पर आकर तुम अब
मुझे तो नेक इरादा नही लगता

कितना भी देखूं तक्सीन नही होती
उसका ये चेहरा सादा नही लगता

दवाई ले रहा हूं एक जमाने से
मगर फिर भी कुछ फायदा नही लगता

दिलो के खेल में नाकाम है “पंडित”
तु इस शतरंज का प्यादा नही लगता
ComradePandit?

2 Likes · 2 Comments · 298 Views
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