अध् बुने ख्वाव ..
अक्सर,
जब कभी सोचता हूँ ,
बीते पलों में ,
तो पलकें,
भीग जाती हैं ,
अश्रुओं में ,
और,
बुनने लगता है ,
मन,
कुछ अधबुने ख्वाव ,
ऐसे ख्वाब ,
जो हकीकत बनने से,
पहले ही ,
दफ़न हो गए,
और हम,
उदास मन ,
बोझिल पलकें लिए,
खड़े देखते रहे,
अपने अरमानों की,
जलती चिता ,
अपने ही सामने ,
और फिर ,
हर रोज़ एक दर्द,
सिमटता रहा,
हमारे ही
हृदय में |