अध्यक्ष चाहे कोई भी बने ,
अध्यक्ष चाहे कोई भी बने ,
हुकम तो आला कमान का ही चलेगा।
तुम तो बस कठपुतली हो प्यारे !
डोर तुम्हारी कोई और ही थमेगा ।
जिस कांग्रेस दल रूपी नैया के तुम नाविक बने,
वोह तो समझो डूबने ही वाली है ।
तुम दिखावे के लिए खेवनहार बने हो ,
तुम्हारी पतवार तो किसी और के इशारे पर ,
चलने वाली है ।
इस राजनीतिक मंच में यह नाटक चलता रहा है ,
जैसे अब तक ,
आगे भविष्य में भी चलता रहेगा ।
हर आने वाला सदस्य इस दल का ,
बस मोहरा ही रहेगा ।
क्या समझे !!