अधूरे तेरे बिन
*******अधूरे तेरे बिन*******
*************************
हसरतें रह गई अधूरी तेरे बिन
ख्वाब भी रह गए अधूरे तेरे बिन
मंसूबे हमारे जग जाहिर थे यहाँ
पर पूरे नहीं हो ये पाए तेरे बिन
सीमाओं में बंधे हुए ,थे मजबूर
सरहदें नहीं लांघ पाए तेरे बिन
गहराई में डूबे हम बीच दरिया
किनारें हमें न मिल पाए तेरे बिन
पंख कटे पखेरू जैसा हाल मेरा
प्रेम उड़ानें न भर पाए तेरे बिन
तारीकियों में ठोकरें खाते रहे
उजाले हमें न मिल पाए तेरे बिन
बंदिशों के पहरे में थे जीते रहे
सुखविंद्र नहीं जीत पाया तेरे बिन
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)