अधूरी बात है मगर कहना जरूरी है
दुःख व सुख में साथ रहना जरूरी है
अधूरी बात है मगर कहना जरूरी है
जीवन का नौका जब डगमगाता है
अपना ही कोई साथ निभाता है
मन सूखे पत्ते की तरह कांपता है
जब वक्त अपने मीटर से नापता है
समय के साथ खुद ढलना जरूरी है
अधूरी बात है मगर कहना जरूरी है
जिसने ठुकराया उसका एहसान है
पैरों पे खड़े हैं खुद की पहचान है
जिंदगी जीने की कला आ गयी
जिम्मेदारियां बखूबी निभा गयी
हिम्मत के साथ सम्हलना जरूरी है
अधूरी बात है मगर कहना जरूरी है
रातों को नींद उड़ जाया करती है
जब भी बुरे सपने रूलाया करती है
जरूरत से ज्यादा इच्छा के गुलाम
रहने लगते हैं बैचैन सुब्ह-ओ-शाम
आसमां से जमीं पर उतरना जरूरी है
अधूरी बात है मगर कहना जरूरी है ।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर