अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़ भी कभी हमें
पूरा कर जाता है,
ज्यादा पल साथ बीते या ना बीते
पर उम्र भर साथ निभा जाता है,
कसमें वादे करते-करते सारे
हमारा साथ छूट जाता हैं,
साथ निभाने का हर पल का वादा
यूँही बस रह जाता है,
पर यादों में बीते वो लम्हें
बेहद खास बन जाते है,
बीते हुए वो लम्हें हमें
बेहद सुकून दे जाते हैं,
आज भी जब कभी वो सारी यादें
आँखों के सामने धुंधले सी आ जाते है,
मन के किसी कोने में दबी स्मृतियाँ
पुनः सामने लौट आ जाते हैं,
रह-रह कर वो अधूरे प्रेम की यादें
बार बार समीप आ जाती है,
वो अधूरा प्रेम हमारा
मेरा मन बेचैन कर जाती हैं।
– डॉ. मुल्ला आदम अली
तिरुपति – आंध्र प्रदेश
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