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9 Dec 2021 · 1 min read

अधुर हसरतें

अधुरी हसरतें

हसरतें तमाम दिल की खत्म हुई
जीवन को सुकून आधा ही मिला है।

हम औरों से क्या शिकवा करें
हमें अपने सितारों से गिला है।

मेहनत तो लाख की जिंदगी में
मगर मेहनताना अधूरा ही मिला है।

दिल क्या बयां करें हसरतें अपनी
यह होंठ मजबूरी के धागों से सिला है।

यह आंखें अश्क बहा के बता देती
पर हमें दुपट्टे के कोनों से गिला है।

मकान हौसलों का जो खड़ा किया वो
लफ्जे अपनों के धमाकों से हिला है।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 180 Views
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