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25 Feb 2022 · 1 min read

अधिकार या अतिचार

युद्ध का जो कुछ दिनों से बज रहा मृदंग
जीतने की चाह में हुई शांति सब भंग

अमन चैन को भूल, क्रूर हो गया हैवान
झुका रहा करने पूरे द्वेष पूर्ण अरमान

भूल गया उपदेश थे क्या जैन और बुद्ध के
अहिंसा के वचन उस गांधी प्रबुद्ध के

रण में शवों से सारी ये भूमि पट जाएगी
देश तो बढ़े मिटे ,बस मानवता घट जाएगी

होगा कौन जिम्मेदार इस भीषण नरसंहार का
विनाश की कगार पर आए इस मंजुल संसार का

और एक दिन हो जाएगा ये शोर सारा मौन
याद नहीं रहेगा कि जीता कौन- हारा कौन

याद आयेगा तो सिर्फ ये धुयें भरा मंजर
कौन साथ खड़ा था और कौन दे गया खंजर

जो खो गए अपनों और अपने सुखमय परिवार को
माफ़ नहीं करेगे उसके बीभत्स व्यवहार को

क्या हुआ उन किए गए दम्भ पूर्ण नादों का
विपत्ति मे साथ देने वाले अनृत सब वादों का

अलग खड़े है आका उसे कठिनाई मे डालकर
आग की चिंगारी को अम्बर तक विकराल कर

Language: Hindi
259 Views
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