अद्भुत है एहसास तुम्हारा
कसमें तोड़ रहा हूँ तेरी
खुद को फिर से भरमाउंगा
तेरे सब उपहार सजाकर
उनमें पागल हो जाऊँगा
तस्वीरों से बातें करके
लम्बी चौड़ी रातें करके
मन को हल्का दे दिया चारा ,
अद्भुत है एहसास तुम्हारा !!
मिलने की जब बात सुनी थी
सारी दुनिया तभी मिली थी
जीन्स शर्ट व चश्मा तेरा
आंखों में इक ख़्वाब सुनहरा
मेंहन्दी चिमटी बाली लेकर
अरु खाने की थाली लेकर
स्टेशन पे बैठे जानी
और दुप्पटा ताने धानी
सारी दुनिया से छुपकरके
एक दूजे में पूरा खो के
नमक पराठा जूठा करके
दिया कौर था सबसे प्यारा ,
अद्भुत है एहसास तुम्हारा !!
कुछ शर्तों की शाम खड़ी थी
तेरा घर को जाना था
मेरे अपने रोते मन को
फिर भी नही दिखाना था
कुछ वादों के साथ विदा हो
सोना खाना गाना तुम
नए सफ़र में इस जीवन के
हँसते हँसते जाना तुम
तुमने गले लगाया मुझको
हाथ फेरा था मेरे मुख पे
हम दोनों की आँखें तब फिर
बह उठी थी रुक रुक करके
मिलना और बिछड़ना जग का
सारा काम रहा है रब का
दूर वही होता है जिसको
बरसों हमने दिया सहारा ,
अद्भुत है एहसास तुम्हारा !!
– शशांक तिवारी