“अद्भुत हिंदुस्तान”
“अद्भुत हिंदुस्तान”
26 जनवरी 1950 को
हमारे भारत का संविधान बन जाए
राष्ट्रीय पर्व का मिला दर्जा
गणतंत्र दिवस का त्योहार बनाएं,
लोकतांत्रिक हिंदुस्तानी बने अब हम
तिरंगा खुले चमन में लहराए
सरहद पर तने हमारे वीर जवान
भारत माता का मान बढाएं,
दुश्मनों के दांत करें खट्टे
हिंदुस्तानी हद से परे भगाएं
इन्हीं की बदौलत सुरक्षित हम
लबों से अपने राष्ट्रगान गुनगुनाएं,
षट् ऋतुओं का दुर्लभ संगम
चंचल चित को गुदगुदाए,
पर्यटन स्थली पैर पसारे यहां
सम्पूर्ण जग में नाम कमाएं,
खाना देशी, रहना देशी यहां
विदेशियों का भी मन ललचाए
अर्न्तरात्मा सहसा ही बोले
क्यूं ना हम भी यहीं बस जाएं,
प्रकृति हमारी करे आनंद विभोर
मधूर कूक कोयल, पपीहा सुनाए
पहाड़ और कलकलाती नदियां
उपर सतरंगी आसमान जगमगाए,
हर क्षेत्र की न्यारी-न्यारी बोली
नाना प्रकार के तैयोहार बनाएं
रहना, खाना और बाना भिन्न-भिन्न
अनेकता में फिर भी एकता दिख जाए,
हरे भरे खेत खलिहान यहां
फसलें निज स्वर में लहराएं
विभिन्न धर्मों का यहां बसेरा
मिल-जुल कर भारतवासी कहलाएं।