अद्भुत भारत पर कविता
चलो तुम्हें एक मोहब्बत की दुनिया दिखाता हूँ
की एक जहाँ सारे जहाँ से अच्छा दिखाता हूँ
मजहब से पहले जहाँ मुल्क पूजे जाते हैं
हाँ वही चलो मैं तुम्हें अतुल्य भारत दिखाता हूँ
होली में रंगीन हो जाते हैं अज़ान करने वाले
तो शौख से ईद मनाते हैं राम नाम जपने वाले
त्योहार एक का, मनाते हुए सबको दिखाता हूँ
हाँ वही चलो मैं तुम्हें अतुल्य भारत दिखाता हूँ
रीति रिवाज किसी का किसी से नहीं मिलता
घुल जाते ऐसे एक दूजे में, रंग तिरंगा ही मिलता
गीता कुरान से पहले जण गण मन सुनाता हूँ
हाँ वही चलो मैं तुझे अतुल्य भारत दिखाता हूँ
हर भाषा का महत्त्व है कुछ न कुछ सिखाती है
हिंदी संस्कार और उर्दू मोहब्बत सिखाती है
अनेक भाषाओं के एक ही बोल सुनाता हूँ
हाँ वही चलो मैं तुझे अतुल्य भारत दिखाता हूँ