अदृश्य शत्रु(कोरोना)
अदृश्य शत्रु है तैयार
सम्हल-सम्हल के चलना मेरे यार
चूक अगर जो हुई देगा हमको मार।
अदृश्य शत्रु…….
ना हीं है रूप रंग आकार
फिर भी है कई प्रकार
चाल चलने में बड़ा होशियार,
अदृश्य शत्रु……
अगर किया जो वार
समझो दूर हुआ परिवार
बाहर ना जाएं हम ,रोज मनाएं रविवार
अदृश्य शत्रु….
ओर-छोर नही दिखता
बाजार में कुछ नही बिकता
घर की क्या बात करें, पूरी दुनिया बीमार
अदृश्य शत्रु……..
ज्ञानी विज्ञानी सब फेल है
मानो रहस्यमयी कोई खेल है
प्रकृति विजय अभियान पर ,है प्रकृति वार
अदृश्य शत्रु……
अब और शत्रु विकराल बना
कितने मासूमों का काल बना
देखो दूर-दूर चित्कार
अदृश्य शत्रु…. .
कब कहाँ से आएगा
कौन सा मार्ग अपनाएगा
पढ़े नहीं विज्ञान में
सोचा नहीं ध्यान में,
अब तो राह दिखाओ खेवनहार
बन जाओ तुम पालनहार ।