अदा कुछ और आप सीखिए ना सीखिए
अदा कुछ और आप सीखिए ना सीखिए
अपने काम में दिल लगाना सीखिए
सर- ए- रह मिल जाएगी ज़िंदगी बंदे
दिल की गली में आना-जाना सीखिए
उँची परवाज़ की ख़ातिर फलक़ पर
बादलों के उस पार जाना सीखिए
फूलों पर न जाए बुरी नज़र कोई
काँटों से दस्तूर निभाना सीखिए
चिराग़ नहीं गुज़ारिश है आँधी से
किसी दिल में लगी आग बुझाना सीखिए
जमा ले रंग तुम पर हर कोई यहाँ
कभी खुद का भी सिक्का चलाना सीखिए
वो जो पढ़ते हो ‘सरु’ की आँखो में
उन्हीं ग़ज़लों को गुनगुनाना सीखिए