अदान-प्रदान
आओ बैठो
पास मेरे
जुबां खामोश
शब्दों का आदान-प्रदान
वर्जित रहेगा
आंखें आंखों से
बातें करेंगी
पलकों पे एहसास होगा
नेत्र-जल
प्रेम की गहराई को
नापने का पैमाना बनेगा
बस शब्दों का आदान-प्रदान
वर्जित रहेगा
निष्ठुर शब्दों ने
कभी मौका न दिया
अब ये होगा
मन ही मन की
भाषा समझेगा
प्रीत की रीत
निभाई जायेगी
लेकिन शब्दों का आदान-प्रदान
वर्जित रहेगा
रीता मन हर्षित होकर
मयूर सम नर्तन करेगा
गूंथेगे श्वासों को
श्वासों से
माला बनायेंगे
एक दूजे के
उर मे पहनायेंगे
पर शब्दों का आदान-प्रदान
वर्जित रहेगा
मंद पवन
गुलाब की पंखुरी सम
लरजते होंठ
निशब्द स्पंदन करेगें
बांहें फड़केगी
स्पर्श करेंगीं
आलिंगनबद्ध
होने को मनाही
नही होगी
बस शब्दों का आदान-प्रदान
वर्जित रहेगा
@ अश्वनी कुमार जायसवाल
प्रकाशित