अदब
अदब से मिलना भी जरूरी है,
संस्कार की उच्च मुलकाता है अदब,
समाज में इज्ज़त दिलाता है अदब,
अदब- ए – खैरियत जरूरी है जनाब,
अदब से अल्लाह की खुशनुमारी है।
………….
अदब जीवन जीने का साऊर है,
अबद है तो रौशन है यह दुनिया।
बिना अदब के न संस्कार है और,
न शिष्टाचार न कोई इज्जत।
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डॉ प्रवीण ठाकुर
निगमित निकाय भारत सरकार।
शिमला हिमाचल प्रदेश।