Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jan 2022 · 1 min read

अदब ही खेत है मेरा

अगर मैं इक फ़साना हूँ तो ये उनवान है मेरा
तेरी जागीर से प्यारा मुझे ईमान है मेरा

बज़ाहिर यूँ तो मैं हर हाल में दिलशाद हूँ लेकिन
चले आओ कि ख़्वाबों का महल सुनसान है मेरा

ग़मों की तेज़ लहरों पर लिए कश्ती पुरानी हूँ
समन्दर देखकर ये हौसला हैरान है मेरा

जहाँ संसार के सारे सहारे छूट जाते हैं
वहीं माँ की दुआओं में खड़ा भगवान है मेरा

उगाता हूँ यहाँ मैं गीत-ग़ज़लों की हसीं फसलें
अदब ही खेत है मेरा, अदब खलिहान है मेरा

उसी का नाम लेकर जागता हूँ और सोता हूँ
मगर इस बात से दिलबर अभी अनजान है मेरा

कभी जंगल, कभी सहरा, कभी ये झील सी लगतीं
‘असीम’ आँखें तुम्हारी हैं कि ये दीवान है मेरा

– शैलेन्द्र ‘असीम’

1 Comment · 246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*राजा दशरथ (कुंडलिया)*
*राजा दशरथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
करवाचौथ
करवाचौथ
Satish Srijan
हकीकत
हकीकत
dr rajmati Surana
ती सध्या काय करते
ती सध्या काय करते
Mandar Gangal
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
ruby kumari
* कुछ लोग *
* कुछ लोग *
surenderpal vaidya
पितृ स्तुति
पितृ स्तुति
दुष्यन्त 'बाबा'
स्त्रियाँ
स्त्रियाँ
Shweta Soni
सच तो सच ही रहता हैं।
सच तो सच ही रहता हैं।
Neeraj Agarwal
भ्रम
भ्रम
Shiva Awasthi
वट सावित्री अमावस्या
वट सावित्री अमावस्या
नवीन जोशी 'नवल'
चली जाऊं जब मैं इस जहां से.....
चली जाऊं जब मैं इस जहां से.....
Santosh Soni
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
करन ''केसरा''
कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ
कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ
Dr. Kishan tandon kranti
प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है
प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है
Sonam Puneet Dubey
फ़ितरत-ए-दिल की मेहरबानी है ।
फ़ितरत-ए-दिल की मेहरबानी है ।
Neelam Sharma
छिपकली
छिपकली
Dr Archana Gupta
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
बरगद और बुजुर्ग
बरगद और बुजुर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
आर.एस. 'प्रीतम'
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
Phool gufran
रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
Mukesh Kumar Sonkar
#जय_सियाराम
#जय_सियाराम
*Author प्रणय प्रभात*
जुल्मतों के दौर में
जुल्मतों के दौर में
Shekhar Chandra Mitra
स्वयं का बैरी
स्वयं का बैरी
Dr fauzia Naseem shad
अधर्म का उत्पात
अधर्म का उत्पात
Dr. Harvinder Singh Bakshi
हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Saraswati Bajpai
2824. *पूर्णिका*
2824. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुश्किल हालात हैं
मुश्किल हालात हैं
शेखर सिंह
Loading...