अदब से उतारा होगा रब ने ख्बाव को मेरा,
अदब से उतारा होगा रब ने ख्बाव को मेरा,
तलाश रहा हूं हर घड़ी कहीं तो होगा वो ख्वाब मेरा,
अधूरा हो या पूरा कोशिश हो गर मुमकिन,
तो एहसास का भी होगा रैन-बसेरा फिर मेरा।
©️सुनील माहेश्वरी
अदब से उतारा होगा रब ने ख्बाव को मेरा,
तलाश रहा हूं हर घड़ी कहीं तो होगा वो ख्वाब मेरा,
अधूरा हो या पूरा कोशिश हो गर मुमकिन,
तो एहसास का भी होगा रैन-बसेरा फिर मेरा।
©️सुनील माहेश्वरी