अदब अपना हम न छोड़ें
हम उस्ताद हैं इन तालिबों के, अदब अपना हम न छोड़े।
हम चुने सफ़र-ए-ईमान को, अपनी वफ़ा हम न तोड़े।।
हम उस्ताद हैं इन तालिबों के————–।।
आईना है हमारी तालीम का, ये तालिब तस्वीर हैं हमारे कल की।
हम भूलें नहीं अपनी साख को, ताकि ये हमारी तहजीब न छोड़े।
हम उस्ताद हैं इन तालिबों के—————-।।
हम करें सोहबत शरीफों की, हम दें साथ शराफत का सदा।
करके हम दोस्ती बेनवाजों की, गलत राह हम इनको न मोड़े।।
हम उस्ताद हैं इन तालिबों के—————-।।
हम बनायें इनको इस क़ाबिल, कि नाज करें इन पर यह जमीं।
ये तस्वीर हैं नसीबे- हिन्द की, बावफ़ा हो ये वतन परस्ती न छोड़े।।
हम उस्ताद हैं इन तालिबों के—————।।
और क्या चाहिए हमको इनसे, हो नाम हमारा अपने तालिब से।
हम खुद तमीज से रहें, ताकि ये हमारी तालीम को न छोड़े।।
हम उस्ताद हैं इन तालिबों के—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा ऊर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)