अथक प्रयास — “साहित्य पीडिया एक विश्वास”
अगस्त उन्नीस वर्ष दो हजार बीस, आप से जुड़ा।
साहित्य प्रेमी था, चिंतन उसी ओर मुड़ा।
एक एक कर शतकीय रचना को मैंने गड़ा।
किसी ने पसंद किया, किसी ने उन्हें पड़ा ।
नित्- नित मेरे लिखने का सिलसिला बड़ा ।
साहित्य रत्न है ही ऐसा, जिस जिसके सिर यह चढ़ा।
उसने नींद चैन खो कर भी ,दिन-रात इसको पढ़ा।
काव्य सृजन के ओ दीवानो ,आओ हम सब मिल जाएं।
जगत में जो कलुस्ता फैली, इसमें महकते फूल खिलाए।
वर्तमान और भावी जीवन को ,हम कुछ ऐसा दे जाएं।
पढ़कर जिसको हर मानव में, मानवता आ जाएं।
धर्म हमारा दिशा देना, हम क्यों पीछे रह जाएं।
भारत मां के प्यारे बेटे हम, जगत में इसको सर्वोच्च सम्मान दिलाएं ।
साहित्य रचते जाएं ,पढ़ें और पढ़ाएं , कलम न थमने पाए।
जगतगुरु था देश हमारा, फिर से वही ले जाएं ।।
विश्वास मुझे है आप सभी पर, काव्य यात्रा करते रहेंगे।
साहित्य पीडिया, एक विश्वास हमारा, स्वर यूं ही बहते रहेंगे ।।
“”यह मेरी सो वी रचना है, सभी को शत-शत प्रणाम !!!
राजेश व्यास अनुनय