अत्याचार का शिकार
ये कैसा समय आया|
दहशत काहै साया|
मानव कुछ समझ
न पाया|
कोरोना ने यूँ भरमाया|
ऐसा भयंकर जाल बिछाया|
पूरे जनमानस को सताया|
घर तक में सन्नाटा छाया|
होली की हुड़दंग भी डर गई|
दहशत से मानों वो भर गई|
जीवन ही है महत्वपूर्ण
हर जन को महसूस कराया|
डा पूनम श्रीवास्तव {वाणी}