अतुल्य भारत /आत्म निर्भर भारत
विविधताओं से भरा,
है मेरा हिंदुस्तान।
जहाँ अलग-अलग हैं भाषाएँ ,
पोशाके खानपान।।
‘कहीं हैं नदियों की कल कल,
कहीं रेत ही रेत।
कहीं हैं ऊँचे – ऊँचे पर्वत,
कहीं लहराते खेत ।।
उत्तर में है बर्फ को ओढ़े,
जन्नत सा कश्मीर।
दक्षिण में कन्याकुमारी,
छूता सागर नीर ।।
पूर्व में फैले हैं (देखो),
चाय के बागान ।
पश्चिम में है शेर बढ़ाते,
गुजरात की ऊँची शान ।।
भांगड़ा, घूमर,कुचिपुड़ी,
कथक नृत्य हैं कमाल।
इडली सांभर वडा पाव,
रोटी साग सजाए थाल।।
संपूर्ण विश्व की छटा है इसमें,
मत होना हैरान ।
ये है मेरा अतुल्य भारत,
प्यारा हिंदुस्तान ।।