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29 Jul 2021 · 1 min read

अतीत

चलो एक बार फिर से
गुजरा बचपन जी लें हम और तुम
उन संकरी गलियों में
दौड़ भाग कर लें हम और तुम

वो कटती पतंग की डोर
दौड़ कर पकड़ लें हम और तुम

वो गिल्ली डंडा और कंचे
मैदानी खेल खेल लें हम और तुम

कच्चे मकानों में छिप कर
फिर से धप्पा बोल लें हम और तुम

छत पर सूखते कचरी पापड़
चुपके से जाकर चख लें हम और तुम

माँ का ममताई आँचल
एक बार फिर से ओढ़ लें हम और तुम

चलो एक बार फिर से
गुजरा बचपन जी लें हम और तुम

वीर कुमार जैन
29 जुलाई 2021

Language: Hindi
308 Views
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