अतीत *************************
बीता हुआ कल जंग खाए पुराने बक्से से
निकल खड़ा हो गया मेरे समक्ष.
क्या करूं? किंकर्तव्यमूढ़ होता इसके पूर्व मैंने
कर लिया तय.
बक्से को रगड़ा,धोया और चढ़ा दिया नया रंग.
मेरा अतीत लगा था चमकने.
क्षत-विक्षत पड़ा विकृत समय.
अपने अहं को छोटा करते जाने की विवशता.
पसीने से भीगे तन और मन की व्याकुलता.
दूर तक फैला एकान्त रास्ते का खालीपन.
हर विपरीतताओं में अकेला खड़ा
मन पर चढ़बैठा असुरक्षा का भय.
आवश्यकताओं को कल के लिए टालता
बच्चों के आकाँक्षाओं को सीमित करता
मेरा रूंआसा चेहरा.
टूटता हुआ हर संकल्प.
वह रुखा और धूर्त यथार्थ
रिश्तों के रिसते जख्म.
अतीत बूढ़ा नहीं होता.
अतीत की मृत्यु नहीं होती.
अतीत का पुनर्जन्म होता है.
अतीत भविष्य की आत्मा होती है.
अतीत वर्तमान का आईना होता है.
अतीत कथाओं और लोकगीतों में
गूंजता रहता है.
अतीत हमें रास्ते और लक्ष्य देते हैं.
अतीत आत्म अनुशासन का पाठ है.
खोलो, अतीत में बंधा यदि गांठ है.
नये दीवारों पर अतीत का कोई टुकड़ा
टुकड़े से झांकता कोई सुखद क्षण
अच्छा लगता है, जाता है मन सहला.
छोटा सा दु:खद प्रसंग इस छोर पर भी
दीवार पर फैलकर पूरा
जाता है दिल दहला.
तब के डायरी के फटे,अधफटे पन्ने पर
चिपके अक्षर धुंधले होकर भी
कह गये-भाव,चावल और चने का.
बिगड़े बजट चिढ़ाते हुए से
हंसते रहे.
कई इबारत
जो तब इसलिए लिखे गये थे कि
बुरे वक्त में आ खड़े होंगे मेरे
व्यंग्य से मुस्कुराते रहे.
हर उदास अतीत से अब शिकायत है
तब प्रार्थनाओं की लम्बी श्रृंखलाएं थीं.
इस वर्तमान से शिकायत अब भी है
प्रार्थनाएँ अब भी वही हैं.
अतीत खुलने से वर्तमान का दु:ख
बढ़ता है.
क्योंकि वर्तमान अपने को तौलता है
अतीत से.
बाहर बहुत कुछ बदला इसलिए
अतीत ने ले लिया जन्म.
बाहर बहुत कुछ मर गया इसलिए
अतीत, अतीत हो सका.
अतीत शांत था.
हर ड्राइंगरूम अब शोर से क्लांत है.
था सकुन तब शांति में
अब शोर में स्थिरता नितांत है.
पत्ते पीले हुए, धरा पर गिरे
सड़े और गायब हो गये.
घर को छूती नदी
दूर बहने लगी है.
सूखी भी तो क्या !
नल में पानी आयगा.
घर का अन्तिम घड़ा भी फूट जाने देना है.
अतीत बदला तो है.
पानी कुंए से उठकर सिर पर आ गया है.
अतीत बदलता ही है.
वर्तमान के समानांतर नहीं होता.
मेरे अतीत से भिन्न होगा तेरा अतीत.
मेरा अतीत सिर्फ मैं ही जिऊंगा .
अतीत किसी खन्डहर में
दबा रहेगा खत्म नहीं होगा
अतीत जिन्दा रहेगा.
जिन्दा रहे अतीत
चुटकुलों से सराबोर अतीत हंसाये
अतीत होने का
कर्तव्य हो और कर्म भी यही.
जय हो,अतीत की जय हो.