अतीत की स्मृतियों से
अतीत की स्मृतियों से होकर आज
जब हम झांकते हैं अपने बीते हुए कल में
तब हम पाते हैं कुछ खट्टे अनुभवों, के साथ
चलचित्र की भांति बीते जीवन के उन पलों को
जिन्हें हम याद कर रोमांचित, उत्साहित
और अत्यधिक प्रसन्न होते हैं,
तो कुछ को हम भूलकर भी कभी
सपने में भी याद तक नहीं करना चाहते हैं,
क्योंकि उसे याद कर हम आज भी कांप उठते हैं।
वास्तव में यही तो वास्तविक जीवन है
चाहे जितनी कोशिश कर लें,
हम आप इससे भागकर बच भी नहीं सकते हैं।
अपने आपको ताकत देने के लिए
और हौसलों का नया उदाहरण बनने के लिए
हमें जब तब अतीत की स्मृतियों से ही
बीते हुए कल में झांकना ही पड़ता है,
क्योंकि हमें जीना जो होता है
इसलिए अपने कल की जीवन यात्रा के अतीत से
बहुत कुछ सीखना ही पड़ता है
अतीत की स्मृतियों से जुड़ना और जूझना ही पड़ता है।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश